लेखक - श्री राजीव दीक्षित जी
पेज - 63
भाषा - हिन्दी
आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में आदिकाल से मनुष्य को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए जितने भी प्रयत्न हुए हैं उनके पीछे मूल प्रेरणा रही है मानव सेवा, रोगियों की सेवा संसार के सभी धर्मों में एक प्रमुख अंग रहा है और इसे आध्यात्मिक उत्थान का व्यावहारिक आधार समझा गया हैं।
पिछले 200-300 वर्षों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उदय के साथ ही सेवा का यह क्षेत्र बहुत बड़े व्यापार में बदल गया। बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों द्वारा भारी मात्रा में दवा निर्माण के कारण और उनकी खपत करवाने के कारण चिकित्सा और दवा उद्योग की कार्य प्रणाली में भारी परिवर्तन आया। दोनों एक दूसरे के पूरक बन गये। व्यावसायिक रूप से तैयार होते चिकित्सकों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरु कर दिया। वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एजेण्ट बन गये और दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों ने ढ़ेर सारे प्रलोभन और सुविधाएँ डॉक्टरों को उपलब्ध कराना शुरु कर दिया हैं।