भाषा - हिन्दी
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1. गौमूत्र में किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति हैं। सभी कीटाणुजन्य व्याधियाँ नष्ट होती हैं।
2. गौमूत्र दोषों (त्रिदोष) को समान बनाता हैं। अतएव रोग नष्ट हो जाते हैं।
3. गौमूत्र शरीर में यकृत (लीवर) को सही कर स्वच्छ खून बनाकर किसी भी रोग का विरोध करने की शक्ति प्रदान करता हैं।
4. गौमूत्र में सभी तत्व ऐसे हैं, जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्वों की कमी की पूर्ति करते हैं।
5. गौमूत्र में कई खनिज, खासकर ताम्र होता हैं, जिसकी पूर्ति से शरीर के खनिज तत्व पूर्ण हो जाते हैं। स्वर्ण क्षार भी होने से रोगों से बचने की यह शक्ति देता हैं।
6. मानसिक क्षोभ से स्नायु तंत्र (नर्वस सिस्टम) को आघात होता हैं। गौमूत्र को मेध्य और ह्रद्य कहा गया हैं। यानी मस्तिष्क एवं ह्रदय से शक्ति प्रदान करता हैं। अतएव मानसिक कारणों से होने वाले आघात से ह्रदय की रक्षा करता हैं और इन अंगों को होने वाले रोगों से बचाता हैं।
7. किसी भी प्रकार की औषधियों की मात्रा का अतिप्रयोग हो जाने से जो तत्व शरीर में रहकर किसी प्रकार से उपद्रव पैदा करते हैं उनको गौमूत्र अपनी विषनाशक शक्ति से नष्ट कर रोगी को निरोग करता हैं।