लेखक - श्री राजीव दीक्षित जी
पेज - 63
भाषा - हिन्दी
मानव समाज के लम्बे इतिहास में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का उदय एक ऐसी घटना है जिसने मनुष्य की जीवन शैली और अनुभव से परखे टिकाऊ मूल्यों को झकझोर दिया है। नवजात शिशु के भरपूर पोषण के लिए प्रकृति प्रदत्त माँ के स्तनपान की चिरकाल से चली आयी स्वास्थय परम्परा के स्थान पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियो द्वारा ‘बेबी फूड़’ को स्थापित करवा देना इसका एक उदाहरण मात्र है। राज्य, राष्ट्रीयता, धर्म, ईमान इन सब से ऊपर उठकर मुनाफा और आर्थिक साम्राज्य की हवस ने इन कंपनियों को ‘सुपरस्टेट’ बना डाला है जो प्रकृति और मनुष्य दोनों के शोषण पर टिकी है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में – रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान से लेकर युद्ध के विकराल हथियार बनाने तक- इनकी घुसपैठ हैं। विश्व के पर्यावरण को, विभिन्न क्षेत्रों के उद्भूत संस्कृतियों को इन कंपनियों ने रोड़ रोलर की तरह रौंद डाला हैं।