भाषा - हिन्दी
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श्रीराम के जीवन को दो हिस्सों में बांटा एक हिस्सा है उनके जीवन का पूर्वाध और दूसरा हिस्सा है उनके जीवन का उत्तरार्थ । पूर्वाध का जो हिस्सा है उनके जन्म लेने से और उनके वन गमन के 1 दिन पहले तक का है । जब उनका जन्म होता है और वह अपने पिता के घर आते हैं अपनी माता कौशल्या की कोख से पैदा होकर तो उस दिन से लेकर और वन गमन के लिए प्रस्थान करें, वो जीवन का उनका पूर्वाध किया हैं, यह मैंने किया है किसी दूसरे का नहीं है, सुविधा की दृष्टि से समझने के लिए । तो उनके जीवन का एक तो है पूर्वाध और दूसरा है उत्तरार्ध । उत्तरार्ध अयोध्या की सीमा को छोड़कर वन में चले जाते हैं 14 वर्ष के लिए, वो उनके जीवन का उत्तरार्ध हैं, इन्हीं दो हिस्सों में मैंने बांटा है, और जब वह वापस लौटते है रावण पर विजय प्राप्त करके, विभीषण को राजा घोषित करके, वो हिस्सा पूर्वाध हैं।