भाषा - हिन्दी (सचित्र)
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भारत में जिस शास्त्र की मदद से निरोगी होकर जीवन व्यतीत करने का ज्ञान मिलता है उसे आयुर्वेद कहते है। आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है। रोगी होकर लंबी आयु को प्राप्त करना या निरोगी होकर कम आयु को प्राप्त करना दोनों ही आयुर्वेद में मान्य नहीं है। इसलिए जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लंबी आयु चाहते हैं, उन सभी को आयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। निरोगी जीवन के बिना किसी को भी धन की प्राप्ति, सुख की प्राप्ति, धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती हैं। रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता हैं। रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता हैं। हमारा स्वस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता हैं। शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुएं बेकार हैं। यदि स्वस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों का आनन्द लिया जा सकता हैं।